बक्सर में पंचायत भवनों में लगेंगे भूमि सुधार कैंप: जिलाधिकारी के सख्त निर्देश, 889 बैंकिंग और 87 नॉन-बैंकिंग वाद लंबित पाए गए।

By akhilesh Roy

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बक्सर भूमि सुधार कैंप (1)

जिलाधिकारी का महत्वपूर्ण निरीक्षण

बक्सर जिले के district magistrate अंशुल अग्रवाल ने हाल ही में डुमरांव के भूमि सुधार उप समाहर्ता कार्यालय का inspection किया, जो पूर्व निर्धारित कार्यक्रम का हिस्सा था। इस दौरान उन्होंने विभिन्न भूमि संबंधी मुद्दों पर गहन समीक्षा की और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए। यह कदम किसानों की लंबे समय से लंबित समस्याओं को हल करने के लिए उठाया गया है, जिससे स्थानीय स्तर पर efficiency बढ़ेगी। निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को तेज करना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना था।

इस inspection के क्रम में जिलाधिकारी ने पाया कि कई क्षेत्रों में काम की गति धीमी है, इसलिए उन्होंने तत्काल सुधार के लिए योजना बनाई। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे नियमित रूप से monitoring करें और किसी भी लापरवाही पर सख्त कार्रवाई करें। इससे न केवल किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि सरकारी resources का बेहतर उपयोग भी होगा। कुल मिलाकर, यह निरीक्षण जिले में भूमि सुधार के क्षेत्र में एक नई ऊर्जा लाने वाला साबित होगा।

पंचायत भवनों में कैंप आयोजन

जिलाधिकारी ने भूमि सुधार उप समाहर्ता को निर्देश दिया कि वे प्रखंड कार्यालयों और जहां उपलब्ध हों, वहां के पंचायत सरकार भवनों में विशेष camps लगाएं। इन कैंपों का उद्देश्य लगान वसूली, परिमार्जन, e-mapping, दाखिल खारिज और लॉक जमाबंदियों जैसी समस्याओं का त्वरित समाधान करना है। किसानों को घर के पास ही सुविधा मिलेगी, जिससे उनका समय और प्रयास बचेगा। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में accessibility को बढ़ावा देगी।

इन camps में राजस्व कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी और कार्यों की प्रगति की नियमित review की जाएगी। यदि कोई कर्मचारी अनुपस्थित रहता है या समस्याओं के निराकरण में लापरवाही बरतता है, तो उसके खिलाफ निलंबन या अन्य कठोर कार्रवाई का प्रस्ताव अगले दिन ही प्रस्तुत किया जाएगा। इससे प्रशासन में accountability मजबूत होगी और किसानों का विश्वास बढ़ेगा। कुल मिलाकर, यह कैंप किसानों की दैनिक चुनौतियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

बक्सर भूमि सुधार कैंप (1)
बक्सर भूमि सुधार कैंप (1)

लंबित वादों की गहन समीक्षा

निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने दाखिल खारिज अपील वादों की स्थिति की review की, जिसमें पाया गया कि वर्तमान में 1500 से अधिक वाद लंबित हैं। निष्पादन की गति बेहद धीमी होने के कारण उन्होंने सप्ताह में कम से कम चार दिन सुनवाई करने का निर्देश दिया। इससे प्रतिमाह 350 से अधिक वादों का disposal सुनिश्चित होगा। यह कदम न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने के लिए आवश्यक है।

साथ ही, BLDR से संबंधित मामलों की सुनवाई और निष्पादन में भी प्रगति लाने पर जोर दिया गया। अधिकारियों को सख्ती से कहा गया कि वे नियमित रूप से progress reports तैयार करें और किसी भी देरी को बर्दाश्त न करें। इससे न केवल लंबित मामलों की संख्या कम होगी, बल्कि किसानों को समय पर न्याय मिलेगा। यह समीक्षा जिले में भूमि विवादों को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

किसानों की समस्याओं का त्वरित समाधान

इन कैंपों के माध्यम से किसानों की विभिन्न भूमि संबंधी शिकायतों का मौके पर ही resolution किया जाएगा, जो स्थानीय स्तर पर एक बड़ा बदलाव लाएगा। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि अंचल अधिकारियों के जरिए इन कैंपों को प्रभावी ढंग से संचालित किया जाए। इससे transparency बढ़ेगी और भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होंगी। किसान अब बिना ज्यादा भागदौड़ के अपनी समस्याएं हल कर सकेंगे।

राजस्व कर्मचारियों की performance की समीक्षा भी इन कैंपों में की जाएगी, ताकि कोई लापरवाही न बरती जाए। यदि कोई कर्मचारी जन समस्याओं के निराकरण में असफल रहता है, तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई होगी। यह व्यवस्था efficiency को बढ़ावा देगी और प्रशासन की छवि को मजबूत करेगी। कुल मिलाकर, यह पहल किसानों के हितों की रक्षा करने में सहायक सिद्ध होगी।

नीलाम पत्र वादों पर सख्त कार्रवाई

निरीक्षण में नीलाम पत्र वादों की भी review की गई, जिसमें 889 बैंकिंग और 87 नॉन-बैंकिंग वाद लंबित पाए गए। 65 मामलों में body warrants जारी किए गए हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन अभी तक नहीं हुआ है। जिलाधिकारी ने अनुमंडल पदाधिकारी और पुलिस से समन्वय कर राशि जमा न करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इससे वादों का disposal तेज होगा।

अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे वाद निष्पादन और राशि वसूली में progress लाएं, ताकि सरकारी राजस्व में वृद्धि हो। यह कदम वित्तीय अनुशासन को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे न केवल लंबित मामलों की संख्या घटेगी, बल्कि कानूनी प्रक्रिया की credibility भी बढ़ेगी। कुल मिलाकर, यह कार्रवाई जिले में न्यायिक व्यवस्था को और सशक्त बनाएगी।

निष्कर्ष

बक्सर जिले में जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के inspection और निर्देशों से भूमि सुधार के क्षेत्र में एक नई शुरुआत हुई है, जो किसानों की समस्याओं को सीधे संबोधित करती है। विशेष camps और लंबित वादों के त्वरित disposal से प्रशासन की efficiency बढ़ेगी और ग्रामीण विकास को गति मिलेगी। यह पहल न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करती है, बल्कि कर्मचारियों में जवाबदेही भी पैदा करती है।

क्या यह बदलाव किसानों के जीवन में वास्तविक सुधार लाएगा? पाठकों को सोचना चाहिए कि स्थानीय स्तर पर ऐसी योजनाओं का कितना महत्व है और इन्हें कैसे और मजबूत बनाया जा सकता है। अंत में, यह कदम trustworthiness को मजबूत करेगा और जिले को एक मॉडल के रूप में स्थापित करेगा।

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